Tuesday, September 17, 2019

Book of Love

क्या तू वहीं है
जिसे मैंने इत्मीनान से पढ़ा था
कहीं तू बदल तो ना गई
वक़्त के साथ....

तेरे जिस्म को पढनेवाले बहुत से मिलेंगे
जिस दिन रूह पढ़नेवाला मिलेगा
तुझसे जुदा होने का गम नहीं रहेगा...

बहुत उलझे हुए लगते हो
क्या कोई तकलीफ़ है..,
दोबारा मिले उसी मोड़ पर
जहां जिंदगी आपकी सुलझा सकु...



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