क्या तू वहीं है
जिसे मैंने इत्मीनान से पढ़ा था
कहीं तू बदल तो ना गई
वक़्त के साथ....
तेरे जिस्म को पढनेवाले बहुत से मिलेंगे
जिस दिन रूह पढ़नेवाला मिलेगा
तुझसे जुदा होने का गम नहीं रहेगा...
बहुत उलझे हुए लगते हो
क्या कोई तकलीफ़ है..,
दोबारा मिले उसी मोड़ पर
जहां जिंदगी आपकी सुलझा सकु...
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