शरारत जिंदगी ने की
खुद से जुदा होकर
मोहब्बत तुझसे की...
क्या यही खता है मेरी..,
वफा तुझसे करके , बेवफाई खुद से की...
चाहते है तुझे इस क़दर
जैसे चांद छिपा हो आसमां के भीतर
हम आए आपसे मिलने छत के ऊपर...
ना लोगो का है डर..,
ना समाज की है परवाह..
मोहब्बत तुझसे की है जानेमन
और तुम ही हो मेरी शायरा..
शायर की शायरी कभी खत्म नहीं होती
कभी शायारा किसी शायर की नहीं होती...
सिर्फ ख्वाबो में होती है शायर की प्यारी शायरा
हमे हकीकत में जीने की आदत नहीं होती...
खुद से जुदा होकर
मोहब्बत तुझसे की...
क्या यही खता है मेरी..,
वफा तुझसे करके , बेवफाई खुद से की...
चाहते है तुझे इस क़दर
जैसे चांद छिपा हो आसमां के भीतर
हम आए आपसे मिलने छत के ऊपर...
ना लोगो का है डर..,
ना समाज की है परवाह..
मोहब्बत तुझसे की है जानेमन
और तुम ही हो मेरी शायरा..
शायर की शायरी कभी खत्म नहीं होती
कभी शायारा किसी शायर की नहीं होती...
सिर्फ ख्वाबो में होती है शायर की प्यारी शायरा
हमे हकीकत में जीने की आदत नहीं होती...
Incomplete Love is alway Great Relationship..
Love ♥️