शरारत जिंदगी ने की
खुद से जुदा होकर
मोहब्बत तुझसे की...
क्या यही खता है मेरी..,
वफा तुझसे करके , बेवफाई खुद से की...
चाहते है तुझे इस क़दर
जैसे चांद छिपा हो आसमां के भीतर
हम आए आपसे मिलने छत के ऊपर...
ना लोगो का है डर..,
ना समाज की है परवाह..
मोहब्बत तुझसे की है जानेमन
और तुम ही हो मेरी शायरा..
शायर की शायरी कभी खत्म नहीं होती
कभी शायारा किसी शायर की नहीं होती...
सिर्फ ख्वाबो में होती है शायर की प्यारी शायरा
हमे हकीकत में जीने की आदत नहीं होती...
खुद से जुदा होकर
मोहब्बत तुझसे की...
क्या यही खता है मेरी..,
वफा तुझसे करके , बेवफाई खुद से की...
चाहते है तुझे इस क़दर
जैसे चांद छिपा हो आसमां के भीतर
हम आए आपसे मिलने छत के ऊपर...
ना लोगो का है डर..,
ना समाज की है परवाह..
मोहब्बत तुझसे की है जानेमन
और तुम ही हो मेरी शायरा..
शायर की शायरी कभी खत्म नहीं होती
कभी शायारा किसी शायर की नहीं होती...
सिर्फ ख्वाबो में होती है शायर की प्यारी शायरा
हमे हकीकत में जीने की आदत नहीं होती...
Incomplete Love is alway Great Relationship..
Love ♥️
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(०३ -११ -२०१९ ) को "कुलीन तंत्र की ओर बढ़ता भारत "(चर्चा अंक -३५०८ ) पर भी होगी।
मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
Yeh shararat bhi achhi h
ReplyDeleteवाह ...,,सुंदर शब्दों का जाल बुन दिया
ReplyDeleteशुक्रिया
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