Thursday, November 7, 2019

नसीहत

 आदत

तेरे साथ जीने की तमन्ना
अब मेरी भी नहीं है..
अपने बातो में तेरा ज़िक्र करना
अब मुझे भी नहीं आता...

जा चुकी हो जिंदगी से
लौटकर ना आना कभी
जाते हुए को रोकना
लौटकर आए हुए को अपनाना
अब मेरी आदत नहीं है..

तेरे जाने के बाद
बुरी आदत सी हो गई
लोगो को बखूबी से परखना
मेरी जरूरत, दुनिया के लिए नसियत बन गई..



1 comment:

  1. वाह! बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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