Saturday, September 19, 2020

बर्ताव

 बर्ताव बुरा है मेरा

क्षमा आपसे सभी से चाहता हू

सुकून मुझे जिस कार्य से मिले

उसके अलावा ना मै कुछ सोचता हू...


बाते कड़वी है 

पर जहर कभी न बनती है...


सबक दुनिया से लेकर 

सीख रहा हू अंदाज़ में जीने का

क्या फर्क है मुझमें और जमाने में...

मै बाते कड़वी करके बुरा बनता हू...

लोग बाते उछालकर अच्छा बनते है...





Life


3 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 21 सितंबर 2020) को 'दीन-ईमान के चोंचले मत करो' (चर्चा अंक-3831) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव

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  2. सबक दुनिया से लेकर
    सीख रहा हू अंदाज़ में जीने का
    क्या फर्क है मुझमें और जमाने में
    मै बाते कड़वी करके बुरा बनता हू
    लोग बाते उछालकर अच्छा बनते है

    बेहतरीन रचना!!!
    हार्दिक बधाई!!!

    ReplyDelete

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