Thursday, March 24, 2022

Gulam

गुलाम  

 इंसान भी एक अजीब माती का पुतला है

जमाने के लिए आज़ाद परिंदा है...

भीतर से वक्त , हालात और जज़्बात का गुलाम है..


कभी वक्त ने हराया , 

कभी हालातो ने है रुलाया, 

जज्बातों से बंदी बेड़ियों ने ...

हर बार इंसान को गुलाम है बनाया .....


वक्त रहते हुए हालात ना समझे

हालात समझते समझते वक्त निकाल गए..

जज्बातों के बेडी में ऐसे जकड़ा इंसान 

मुझसे अपने रूठे, पराए रूठकर दूर निकाल गए...


हालात


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