सफर
अंधेरे में कुछ देर रहने पर यह ख्याल आया लिखा जाए कुछ जिन्दगी का फलसफा अपने मंजिल के लिए..
सफर है ये मेरा
खुद से किया है ये वादा
हू मै अभी जमी पर
हौसला रखता हु आस्मा छुने का
खुद से किया है ये वादा
हू मै अभी जमी पर
हौसला रखता हु आस्मा छुने का
करना होगा त्याग
त्याग मेरे खुशियों का
मंजिल अभी बहुत दूर है साहब
सफ़र मुझे ये तय करना होगा...
त्याग मेरे खुशियों का
मंजिल अभी बहुत दूर है साहब
सफ़र मुझे ये तय करना होगा...
कर्म ही है धर्म मेरा
कर्म ही है जन्मभूमि
बिना कर्म के फूल नहीं खिलता बंदे
ये तो सफ़र है तेरे आत्मसम्मान का..
कर्म ही है जन्मभूमि
बिना कर्म के फूल नहीं खिलता बंदे
ये तो सफ़र है तेरे आत्मसम्मान का..
तू चढ़ेगा पर्वत ,चढ़कर गिरेगा
गिरकर फिर उठेगा रूकना नहीं राही
संभालना हौसला अपना
यही है फलसफा जिन्दगी का
गिरकर फिर उठेगा रूकना नहीं राही
संभालना हौसला अपना
यही है फलसफा जिन्दगी का
पहुंचा तू , पहुंचा अपनी मंजिल पर,
चढ़ गया तू पर्वत ,
जिस पर निर्भर तेरा आत्मसम्मान था...
ना करना कभी घमंड
घमंड अपने कामयाबी, पैसे शोहरत का,
ये सब गीनत ख़त्म हो जाएगा ...
अनगिनत हैं तेरा हौसला,
जो हरदम तेरे साथ रहेगा.....
चढ़ गया तू पर्वत ,
जिस पर निर्भर तेरा आत्मसम्मान था...
ना करना कभी घमंड
घमंड अपने कामयाबी, पैसे शोहरत का,
ये सब गीनत ख़त्म हो जाएगा ...
अनगिनत हैं तेरा हौसला,
जो हरदम तेरे साथ रहेगा.....
Very nice..... 👌
ReplyDeleteहौसला है बुलंद
ReplyDeleteNice line
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